अब सिर्फ 3 घंटे में नोएडा से लखनऊ की दूरी, जानिए 45,000 करोड़ के इस New Greenfield Expressway की पूरी जानकारी

New Greenfield Expressway : उत्तर प्रदेश में अब सफर और भी आसान और तेज़ होने जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एक नया मेगा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही हैं जिसकी मदद से नोएडा से लखनऊ का सफर सिर्फ तीन घंटे में पूरा हो सकेगा. इस हाई-स्पीड रूट का नाम है नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जिसकी कुल लागत करीब ₹45,000 करोड़ रुपये होगी. यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

New Greenfield Expressway
New Greenfield Expressway

कहां से कहां तक बनेगा एक्सप्रेसवे?

यह नया एक्सप्रेसवे नोएडा से लखनऊ के बीच सीधे रूट से निकलेगा और इसकी कुल लंबाई लगभग 530 किलोमीटर होगी. यह रास्ता पूरी तरह नया होगा और मौजूदा हाईवे से अलग रूट पर तैयार किया जाएगा. इससे ट्रैफिक जाम जैसी समस्या नहीं होगी और सफर बिल्कुल सीधा और सुगम रहेगा. इसका निर्माण गाजियाबाद, बुलंदशहर, कासगंज, हरदोई जैसे जिलों को पार करते हुए लखनऊ तक किया जाएगा.

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क्या होगी खासियत?

इस एक्सप्रेसवे की सबसे बड़ी खासियत इसकी रफ्तार होगी. इसे 6 लेन के रूप में बनाया जाएगा, जिसे भविष्य में 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा. इस रूट पर अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा तय की जाएगी. मौजूदा समय में नोएडा से लखनऊ का रोड ट्रिप 7 से 8 घंटे का होता है लेकिन इस एक्सप्रेसवे के शुरू होते ही यह सफर घटकर सिर्फ 2.5 से 3 घंटे का रह जाएगा.

कितना होगा खर्च और कब तक बनेगा?

इस मेगा प्रोजेक्ट पर लगभग ₹45,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें जमीन अधिग्रहण से लेकर सड़क निर्माण, फ्लाईओवर, ब्रिज, इंटरचेंज, टोल प्लाजा और सभी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी. अधिकारियों के अनुसार इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 2026 की शुरुआत में शुरू कर दिया जाएगा और इसे 2029 तक पूरा कर जनता के लिए खोल दिया जाएगा. यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर तैयार किया जाएगा.

क्या मिलेंगी सुविधाएं?

इस एक्सप्रेसवे पर सफर करने वालों को हाईटेक सुविधाएं मिलेंगी. रास्ते में कहीं भी रेड लाइट नहीं होगी. पूरे रूट पर फास्टैग आधारित डिजिटल टोल कलेक्शन होगा. साथ ही सीसीटीवी कैमरे, ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर, एमरजेंसी एंबुलेंस, ईवी चार्जिंग स्टेशन, रेस्ट एरिया, फूड कोर्ट और फ्यूल स्टेशन भी होंगे. हर 50-60 किलोमीटर पर यात्रियों को आराम और सुविधा के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध होंगे.

पर्यावरण के अनुकूल होगा ये प्रोजेक्ट

इस एक्सप्रेसवे को इको-फ्रेंडली बनाने के लिए भी खास तैयारी की गई है. सड़क के दोनों किनारों पर ग्रीन बेल्ट तैयार की जाएगी साइलेंस बैरियर लगाए जाएंगे ताकि ध्वनि प्रदूषण न फैले. ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पेड़ लगाए जाएंगे और सड़क किनारे सोलर लाइटिंग और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा.

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